जेतना हो सके सबके खाना खिला के तू देखा। जेतना हो सके सबके खाना खिला के तू देखा।
इन यादों से बचपन की इन बातों से सीखा जीवन 'साकेत' अब भी ढूँढा करता वो बचपन और चार यार इन यादों से बचपन की इन बातों से सीखा जीवन 'साकेत' अब भी ढूँढा करता वो बचपन और...
बजे सुबह के साढ़े चार, अंधेरा कमरा है यार। बजे सुबह के साढ़े चार, अंधेरा कमरा है यार।
चाहे मेरे पास परेशानी हजार हो, लेकिन मेरे पास बस वो मेरे चार यार हो।। चाहे मेरे पास परेशानी हजार हो, लेकिन मेरे पास बस वो मेरे चार यार हो।।
वो चार लोग कौन हैं जो कन्धों पर लादे बोझ हैं. वो चार लोग कौन हैं जो कन्धों पर लादे बोझ हैं.
भूख ना लगती प्यास सिर्फ पहली मुलाकात की मल्लिका की अदा याद।। भूख ना लगती प्यास सिर्फ पहली मुलाकात की मल्लिका की अदा याद।।